मंगलवार को देहरादून में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने मानदेय बढ़ाने और सेवानिवृत्ति के बाद एकमुश्त राशि देने की मांग को लेकर को लेकर सचिवालय की ओर कूच किया। उत्तराखंड के 13 जिलों से पहुंची महिलाओं ने कनक चौक से सचिवालय तक मार्च निकालते हुए सरकार के खिलाफ नारे लगाए।
हालांकि कूच के दौरान सचिवालय से पहले ही पुलिस बल तैनात किया गया और बैरिकेडिंग लगाकर सुरक्षा कड़ी कर दी गई। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, आंदोलन जारी रहेगा। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत उनका समर्थन करने वहां पहुंचे।
9300 रुपये में घर नहीं चलता-सुशीला खत्री
उत्तराखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की प्रदेश अध्यक्ष सुशीला खत्री ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कई विभागों का महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं, लेकिन बदले में मानदेय बेहद कम मिलता है। हमारा मानदेय सिर्फ 9300 रुपये है। मंत्री रेखा आर्य ने 1600 रुपये की बढ़ोतरी की बात की है लेकिन इतने से घर नहीं चलता। हम पोषाहार, टीकाकरण, स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर चुनावी ड्यूटी तक करते हैं। काम बढ़ रहा है, पर मानदेय नहीं। जब तक हमारी बात नहीं सुनी जाएगी, आंदोलन जारी रहेगा।
वहीं, उत्तराखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की सिटी अध्यक्ष तुन ने बताया कि 13 अक्तूबर से कार्य बहिष्कार और 14 नवंबर से सभी केंद्रों पर तालाबंदी जारी है। हम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह की सेवाएं बंद कर चुके हैं। मांग पत्र सौंपा लेकिन मंत्री जी को फर्क ही नहीं पड़ा। महिलाओं को सड़कों पर उतरने पर मजबूर किया गया है।
वर्कलोड बढ़ा लेकिन मानदेय क्यों है कम- हरीश रावत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर किए गए सचिवालय कूच में पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत भी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। 2016 की तुलना में इनका वर्कलोड चार गुना बढ़ा है, लेकिन मानदेय वहीं का वहीं है। सरकार इनका शोषण कर रही है। मैं एक नागरिक के रूप में इनके साथ खड़ा हूं। सरकार को इनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सचिवालय कूच के बाद अब मामले ने गंभीर रूप ले लिया है।प्रदर्शनकारियों ने साफ चेतावनी दी है कि जब तक मानदेय में वृद्धि का निर्णय नहीं लिया जाता,आंदोलन जारी रहेगा। उनका कहना है कि वे सरकारी योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन इसके बदले मिलने वाला मानदेय बेहद कम है। आने वाले दिनों में आंदोलन और तेज हो सकता है।
